हयात-ओ-मौत का इक सिलसिला है

हयात-ओ-मौत का इक सिलसिला है

मोहब्बत इंतिहा तक इब्तिदा है

मैं क्या जानूँ कि बाब-ए-तौबा क्या है

अभी तो मय-कदे का दर खुला है

ज़रा फिर दिल पे नज़रें डाल दीजे

चराग़-ए-आरज़ू ख़ामोश सा है

अता कर दी तुम्हारी आरज़ू ने

वो इक दुनिया जो दुनिया से जुदा है

हसीं हों लाख दुनिया के मनाज़िर

वो क्या देखे जो तुम को देखता है

नज़र के साथ नज़्ज़ारा भी गुम है

दिल-ए-मुज़्तर ये किस का सामना है

मिरे दिल को न रख बे-रंग साक़ी

कि हर साग़र गुलाबी हो रहा है

न दोज़ख़ है न जन्नत है तो 'बासित'

मिरे आ'माल-ए-ग़म का क्या सिला है

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Hayat-o-maut Ka Ek Silsila Hai In Hindi By Famous Poet Basit Bhopali. Hayat-o-maut Ka Ek Silsila Hai is written by Basit Bhopali. Complete Poem Hayat-o-maut Ka Ek Silsila Hai in Hindi by Basit Bhopali. Download free Hayat-o-maut Ka Ek Silsila Hai Poem for Youth in PDF. Hayat-o-maut Ka Ek Silsila Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Hayat-o-maut Ka Ek Silsila Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.