बासित भोपाली कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का बासित भोपाली
नाम | बासित भोपाली |
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अंग्रेज़ी नाम | Basit Bhopali |
ज़ब्त-ए-ग़म कर भी लिया तो क्या किया
वारफ़्तगी-ए-इश्क़ न जाए तो क्या करें
उन का बर्बाद-ए-करम कहने के क़ाबिल हो गया
शौक़ को बे-अदब किया इश्क़ को हौसला दिया
सब काएनात-ए-हुस्न का हासिल लिए हुए
नहीं ये जल्वा-हा-ए-राज़-ए-इरफ़ाँ देखने वाले
मोहब्बत की इंतिहा चाहता हूँ
मेरे रोने पर किसी की चश्म गिर्यां हाए हाए
कुछ सिला ही न मिला इश्क़ में जल जाने का
कोई मेयार-ए-मोहब्बत न रहा मेरे बा'द
किसी के नक़्श-ए-क़दम का निशाँ नहीं मिलता
जैसे भी ये दुनिया है जो कुछ भी ज़माना है
इश्क़-ए-सितम-परस्त क्या हुस्न-ए-सितम-शिआ'र क्या
हयात-ओ-मौत का इक सिलसिला है
हर तरफ़ सोज़ का अंदाज़ जुदागाना है