वो अपने मतलब की कह रहे हैं ज़बान पर गो है बात मेरी
है चित भी उन की है पट भी उन की है जीत उन की है मात मेरी
Gulzar
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Allama Iqbal
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Jaun Eliya
Rahat Indori
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(757) Peoples Rate This
चराग़ उस ने बुझा भी दिया जला भी दिया
ये उन का खेल तो देखो कि एक काग़ज़ पर
पूछते हैं वो इश्क़ का मतलब
ज़ोर से साँस जो लेता हूँ तो अक्सर शब-ए-ग़म
जब मिलेंगे कि अब मिलेंगे आप
शाम भी है सुब्ह भी है और दिन भी रात भी
कहते हैं अर्ज़-ए-वस्ल पर वो कहो
रिहाई जीते जी मुमकिन नहीं है
अहद के साथ ये भी हो इरशाद
कौन कहता है नसीम-ए-सहरी आती है