बशीरुद्दीन अहमद देहलवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का बशीरुद्दीन अहमद देहलवी
नाम | बशीरुद्दीन अहमद देहलवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Bashiruddin Ahmad Dehlvi |
ज़ोर से साँस जो लेता हूँ तो अक्सर शब-ए-ग़म
ये उन का खेल तो देखो कि एक काग़ज़ पर
ये छेड़ क्या है ये क्या मुझ से दिल-लगी है कोई
वो अपने मतलब की कह रहे हैं ज़बान पर गो है बात मेरी
शाम भी है सुब्ह भी है और दिन भी रात भी
रिहाई जीते जी मुमकिन नहीं है
मिरा दिल भी तिलिस्मी है ख़ज़ाना
कहते हैं अर्ज़-ए-वस्ल पर वो कहो
कभी दर पर कभी है रस्ते में
चराग़ उस ने बुझा भी दिया जला भी दिया
बंधन सा इक बँधा था रग-ओ-पय से जिस्म में
अहद के साथ ये भी हो इरशाद
ज़ौक़-ए-उल्फ़त अब भी है राहत का अरमाँ अब भी है
वो अपने मतलब की कह रहे हैं ज़बान पर गो है बात मेरी
पूछते हैं वो इश्क़ का मतलब
लड़ ही जाए किसी निगार से आँख
कौन कहता है नसीम-ए-सहरी आती है
जब मिलेंगे कि अब मिलेंगे आप
है दुनिया में ज़बाँ मेरी अगर बंद
चराग़ उस ने बुझा भी दिया जला भी दिया