Sad Poetry of Bashir Badr
नाम | बशीर बद्र |
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अंग्रेज़ी नाम | Bashir Badr |
जन्म की तारीख | 1935 |
जन्म स्थान | Bhopal |
यारो नए मौसम ने ये एहसान किए हैं
यहाँ एक बच्चे के ख़ून से जो लिखा हुआ है उसे पढ़ें
वो शख़्स जिस को दिल ओ जाँ से बढ़ के चाहा था
वो इंतिज़ार की चौखट पे सो गया होगा
रात का इंतिज़ार कौन करे
फिर याद बहुत आएगी ज़ुल्फ़ों की घनी शाम
पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है
नहीं है मेरे मुक़द्दर में रौशनी न सही
न उदास हो न मलाल कर किसी बात का न ख़याल कर
मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है
मिरे साथ चलने वाले तुझे क्या मिला सफ़र में
मैं जिस की आँख का आँसू था उस ने क़द्र न की
मैं बोलता हूँ तो इल्ज़ाम है बग़ावत का
लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख जाए
कमरे वीराँ आँगन ख़ाली फिर ये कैसी आवाज़ें
हाथ में चाँद जहाँ आया मुक़द्दर चमका
चाँद सा मिस्रा अकेला है मिरे काग़ज़ पर
बिछी थीं हर तरफ़ आँखें ही आँखें
बहुत दिनों से है दिल अपना ख़ाली ख़ाली सा
अजीब शख़्स है नाराज़ हो के हँसता है
ये ज़र्द पत्तों की बारिश मिरा ज़वाल नहीं
ये चराग़ बे-नज़र है ये सितारा बे-ज़बाँ है
वो सूरत गर्द-ए-ग़म में छुप गई हो
वो अपने घर चला गया अफ़्सोस मत करो
वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है
उदासी आसमाँ है दिल मिरा कितना अकेला है
तारों भरी पलकों की बरसाई हुई ग़ज़लें
सर से पा तक वो गुलाबों का शजर लगता है
रेत भरी है इन आँखों में आँसू से तुम धो लेना
पिछली रात की नर्म चाँदनी शबनम की ख़ुनकी से रचा है