Love Poetry of Bashir Badr
नाम | बशीर बद्र |
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अंग्रेज़ी नाम | Bashir Badr |
जन्म की तारीख | 1935 |
जन्म स्थान | Bhopal |
ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं
यारो नए मौसम ने ये एहसान किए हैं
वो इत्र-दान सा लहजा मिरे बुज़ुर्गों का
वो चेहरा किताबी रहा सामने
वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है
वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा था
तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा है
तुम मोहब्बत को खेल कहते हो
शबनम के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआ
सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें
प्यार ही प्यार है सब लोग बराबर हैं यहाँ
फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे
पहली बार नज़रों ने चाँद बोलते देखा
नए दौर के नए ख़्वाब हैं नए मौसमों के गुलाब हैं
मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है
मोहब्बत अदावत वफ़ा बे-रुख़ी
मान मौसम का कहा छाई घटा जाम उठा
मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना
मैं हर हाल में मुस्कुराता रहूँगा
महलों में हम ने कितने सितारे सजा दिए
महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों से
कोई बादल हो तो थम जाए मगर अश्क मिरे
कितनी सच्चाई से मुझ से ज़िंदगी ने कह दिया
काग़ज़ में दब के मर गए कीड़े किताब के
कभी यूँ भी आ मिरी आँख में कि मिरी नज़र को ख़बर न हो
कभी तो आसमाँ से चाँद उतरे जाम हो जाए
जिस दिन से चला हूँ मिरी मंज़िल पे नज़र है
इस शहर के बादल तिरी ज़ुल्फ़ों की तरह हैं