Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_34e311de086de8742548f116c0d84398, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
चाय की प्याली में नीली टेबलेट घोली - बशीर बद्र कविता - Darsaal

चाय की प्याली में नीली टेबलेट घोली

चाय की प्याली में नीली टेबलेट घोली

सहमे सहमे हाथों ने इक किताब फिर खोली

दाएरे अंधेरों के रौशनी के पोरों ने

कोट के बटन खोले टाई की गिरह खोली

शीशे की सिलाई में काले भूत का चढ़ना

बाम काठ का घोड़ा नीम काँच की गोली

बर्फ़ में दबा मक्खन मौत रेल और रिक्शा

ज़िंदगी ख़ुशी रिक्शा रेल मोटरें डोली

इक किताब चाँद और पेड़ सब के काले कॉलर पर

ज़ेहन टेप की गर्दिश मुँह में तोतों की बोली

वो नहीं मिली हम को हुक बटन सरकती जीन

ज़िप के दाँत खुलते ही आँख से गिरी चोली

(1692) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Chae Ki Pyali Mein Nili Tablet Gholi In Hindi By Famous Poet Bashir Badr. Chae Ki Pyali Mein Nili Tablet Gholi is written by Bashir Badr. Complete Poem Chae Ki Pyali Mein Nili Tablet Gholi in Hindi by Bashir Badr. Download free Chae Ki Pyali Mein Nili Tablet Gholi Poem for Youth in PDF. Chae Ki Pyali Mein Nili Tablet Gholi is a Poem on Inspiration for young students. Share Chae Ki Pyali Mein Nili Tablet Gholi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.