Heart Broken Poetry of Bashir Badr
नाम | बशीर बद्र |
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अंग्रेज़ी नाम | Bashir Badr |
जन्म की तारीख | 1935 |
जन्म स्थान | Bhopal |
ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं
यारो नए मौसम ने ये एहसान किए हैं
वो शख़्स जिस को दिल ओ जाँ से बढ़ के चाहा था
उस ने छू कर मुझे पत्थर से फिर इंसान किया
उन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
उदास आँखों से आँसू नहीं निकलते हैं
तुम मोहब्बत को खेल कहते हो
शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है
शबनम के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआ
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे
फिर याद बहुत आएगी ज़ुल्फ़ों की घनी शाम
पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला
पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है
नाम पानी पे लिखने से क्या फ़ाएदा
न उदास हो न मलाल कर किसी बात का न ख़याल कर
न जाने कब तिरे दिल पर नई सी दस्तक हो
मुझे मालूम है उस का ठिकाना फिर कहाँ होगा
मुद्दत से इक लड़की के रुख़्सार की धूप नहीं आई
मिरे साथ चलने वाले तुझे क्या मिला सफ़र में
मैं तमाम दिन का थका हुआ तू तमाम शब का जगा हुआ
मैं जिस की आँख का आँसू था उस ने क़द्र न की
मैं बोलता हूँ तो इल्ज़ाम है बग़ावत का
लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख जाए
जिस दिन से चला हूँ मिरी मंज़िल पे नज़र है
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
हक़ीक़तों में ज़माना बहुत गुज़ार चुके
हँसो आज इतना कि इस शोर में
है अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र रहा न क़याम है