दिल जो उम्मीद-वार होता है

दिल जो उम्मीद-वार होता है

तीर-ए-ग़म का शिकार होता है

जब तिरा इंतिज़ार होता है

दिल मिरा बे-क़रार होता है

ये ही फ़स्ल-ए-जुनूँ की है तम्हीद

पैरहन तार तार होता है

आँख मिलते ही उस सितमगर से

तीर सीने के पार होता है

मुस्कुराहट लबों पे है उन के

दिल मिरा अश्क-बार होता है

उस का करते हैं ए'तिबार कि जो

क़ाबिल-ए-ए'तिबार होता है

उठ के पहलू से जा रहा है कोई

क्या ये पर्वरदिगार होता है

क्या बताऊँ तिरी जुदाई में

जो मिरा हाल-ए-ज़ार होता है

शाम-ए-ग़म इंतिज़ार में उन के

मौत का इंतिज़ार होता है

उन के जाने का नाम सुन कर 'राज़'

कुछ अजब हाल-ए-ज़ार होता है

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