Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e9847399a0dc8e39dbaf8b1313c38f7e, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
गिरफ़्त-ए-ज़ीस्त में हूँ क़ैद-ए-बे-हिसार में हूँ - बशीर अहमद बशीर कविता - Darsaal

गिरफ़्त-ए-ज़ीस्त में हूँ क़ैद-ए-बे-हिसार में हूँ

गिरफ़्त-ए-ज़ीस्त में हूँ क़ैद-ए-बे-हिसार में हूँ

अज़ाब-ए-अर्सा-गह-ए-जब्र-ओ-इख़्तियार में हूँ

ख़याल है तो अभी ढूँढ फिर मिलूँ न मिलूँ

अभी मैं तेरे उड़ाए हुए ग़ुबार में हूँ

भड़क रहा है बदन रूह को ख़बर भी नहीं

ये क्या मक़ाम है ये कैसे शोला-ज़ार में हूँ

मैं कौन हूँ तिरे नज़दीक ये सवाल नहीं

हुबाब हूँ कि सदफ़ बहर-ए-बे-कनार में हूँ

ख़ुद अपने आप से हर दम हूँ बरसर-ए-पैकार

मैं अपनी ज़ात के मैदान-ए-कार-ज़ार में हूँ

में भेद क्या तुझे दूँ बे-कराँ ख़लाओं के

कि मैं अज़ल से इसी हल्क़ा-ए-मदार में हूँ

तलाश किस की है मुझ को अभी ये क्या सोचूँ

'बशीर' अभी तो मैं अपने ही इंतिज़ार में हूँ

(798) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Giraft-e-zist Mein Hun Qaid-e-be-hisar Mein Hun In Hindi By Famous Poet Basheer Ahmad Basheer. Giraft-e-zist Mein Hun Qaid-e-be-hisar Mein Hun is written by Basheer Ahmad Basheer. Complete Poem Giraft-e-zist Mein Hun Qaid-e-be-hisar Mein Hun in Hindi by Basheer Ahmad Basheer. Download free Giraft-e-zist Mein Hun Qaid-e-be-hisar Mein Hun Poem for Youth in PDF. Giraft-e-zist Mein Hun Qaid-e-be-hisar Mein Hun is a Poem on Inspiration for young students. Share Giraft-e-zist Mein Hun Qaid-e-be-hisar Mein Hun with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.