क़र्ज़
मोहर होंटों पे
समाअत पे बिठा लें पहरे
और आँखों को
किसी आहनी ताबूत में रख दें
कि हमें
ज़िंदगी करने की क़ीमत भी चुकानी है यहाँ
(1019) Peoples Rate This
मोहर होंटों पे
समाअत पे बिठा लें पहरे
और आँखों को
किसी आहनी ताबूत में रख दें
कि हमें
ज़िंदगी करने की क़ीमत भी चुकानी है यहाँ
(1019) Peoples Rate This