Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_0e271c409098ddd15a408e305140bcf4, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ब-हर-उनवाँ मोहब्बत को बहार-ए-ज़िंदगी कहिए - बशर नवाज़ कविता - Darsaal

ब-हर-उनवाँ मोहब्बत को बहार-ए-ज़िंदगी कहिए

ब-हर-उनवाँ मोहब्बत को बहार-ए-ज़िंदगी कहिए

क़रीन-ए-मस्लहत है उस के हर ग़म को ख़ुशी कहिए

जहाँ-साज़ों को फ़रज़ाना हम अहल-ए-दिल को दीवाना

ज़माना तो बहुत कहता रहा अब आप भी कहिए

ब-उनवान-ए-दिगर फिर हम से क़ाएम कर लिया तुम ने

वो इक गहरा तअल्लुक़ जिस को तर्क-ए-दोस्ती कहिए

समझ कर संग-ए-राह-ए-शौक़ ठुकराता हूँ मंज़िल को

कमाल-ए-आगही कहिए इसे या गुमरही कहिए

शब-ए-महताब में अक्सर फ़ज़ाओं से बरसता है

तिलिस्म-ए-नग़्मगी ऐसा कि जिस को ख़ामुशी कहिए

मैं अक्सर सोचता हूँ तेरी बे-पायाँ नवाज़िश को

अदा-ए-ख़ास कहिए कोई या बस सादगी कहिए

भरी महफ़िल से भी तिश्ना ही लौट आई नज़र अपनी

ख़ुद-आगाही समझ लीजे इसे या ख़ुद-सरी कहिए

(927) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ba-har-unwan Mohabbat Ko Bahaar-e-zindagi Kahiye In Hindi By Famous Poet Bashar Nawaz. Ba-har-unwan Mohabbat Ko Bahaar-e-zindagi Kahiye is written by Bashar Nawaz. Complete Poem Ba-har-unwan Mohabbat Ko Bahaar-e-zindagi Kahiye in Hindi by Bashar Nawaz. Download free Ba-har-unwan Mohabbat Ko Bahaar-e-zindagi Kahiye Poem for Youth in PDF. Ba-har-unwan Mohabbat Ko Bahaar-e-zindagi Kahiye is a Poem on Inspiration for young students. Share Ba-har-unwan Mohabbat Ko Bahaar-e-zindagi Kahiye with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.