Heart Broken Poetry of Bashar Nawaz
नाम | बशर नवाज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Bashar Nawaz |
जन्म की तारीख | 1935 |
मौत की तिथि | 2015 |
जन्म स्थान | Aurangabad |
घटती बढ़ती रौशनियों ने मुझे समझा नहीं
बहुत था ख़ौफ़ जिस का फिर वही क़िस्सा निकल आया
तो ऐसा क्यूँ नहीं करते
पता नहीं वो कौन था
मुझे जीना नहीं आता
करोगे याद तो हर बात याद आएगी
फ़ासला
एक ख़्वाहिश
अज़ल-ता-अबद
अबदियत
ये हुस्न है झरनों में न है बाद-ए-चमन में
सारे मंज़र फ़ुसूँ तमाशा हैं
रोज़ कहाँ से कोई नया-पन अपने आप में लाएँगे
रब्त हर बज़्म से टूटे तिरी महफ़िल के सिवा
क्या क्या लोग ख़ुशी से अपनी बिकने पर तय्यार हुए
कोई सनम तो हो कोई अपना ख़ुदा तो हो
जब कभी होंगे तो हम माइल-ए-ग़म ही होंगे
जब छाई घटा लहराई धनक इक हुस्न-ए-मुकम्मल याद आया
हर नई रुत में नया होता है मंज़र मेरा
घटती बढ़ती रौशनियों ने मुझे समझा नहीं
दिल के हर दर्द ने अशआ'र में ढलना चाहा
छेड़ा ज़रा सबा ने तो गुलनार हो गए
बाज़ार-ए-ज़िंदगी में जमे कैसे अपना रंग
बहुत था ख़ौफ़ जिस का फिर वही क़िस्सा निकल आया
अक्स हर रोज़ किसी ग़म का पड़ा करता है
आहट पे कान दर पे नज़र इस तरह न थी