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फिरकी - बरकत अली फ़ीराकी कविता - Darsaal

फिरकी

आओ आओ फिरकी बनाएँ

और हवा में ख़ूब नचाएँ

आओ चलें और काग़ज़ लाएँ

नीला पीला काग़ज़ लाएँ

लालू पीला काग़ज़ लाए

कालू नीला काग़ज़ लाए

लालू जा कर क़ैंची लाए

कालू जा कर लेई लाए

लालू ने फिर काग़ज़ काटे

आड़े-तिरछे टेढ़े बाँके

फिर इन सब टुकड़ों को मोड़ा

और सब को लेई से जोड़ा

लो अब वो तय्यार है फिरकी

पीली पीली नीली नीली

ऐसी फिरकी बनाई सब ने

फुलवारी में फूल हों जैसे

लालू ने ली पीली फिरकी

कालू ने ली नीली फिरकी

इक बच्ची थी पीली फिरकी

वो आ कर राजू ने ले ली

लालू भी ख़ुश कालू भी ख़ुश

नन्हे मुन्ने से राजू भी ख़ुश

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Phirki In Hindi By Famous Poet Barkat Ali Firaqi. Phirki is written by Barkat Ali Firaqi. Complete Poem Phirki in Hindi by Barkat Ali Firaqi. Download free Phirki Poem for Youth in PDF. Phirki is a Poem on Inspiration for young students. Share Phirki with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.