एतिबार-ए-नज़र करें कैसे
एतिबार-ए-नज़र करें कैसे
हम हवा में बसर करें कैसे
तेरे ग़म के हज़ार पहलू हैं
बात हम मुख़्तसर करें कैसे
रुख़ हवा का बदलता रहता है
गर्द बन कर सफ़र करें कैसे
ख़ुद से आगे क़दम नहीं जाता
मरहला दिल का सर करें कैसे
सारी दुनिया को है ख़बर 'बाक़ी'
ख़ुद को अपनी ख़बर करें कैसे
(716) Peoples Rate This