Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_839acdffb0547f37ce95edfc02633dde, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
उड़े नहीं हैं उड़ाए हुए परिंदे हैं - बाक़ी अहमदपुरी कविता - Darsaal

उड़े नहीं हैं उड़ाए हुए परिंदे हैं

उड़े नहीं हैं उड़ाए हुए परिंदे हैं

हमें न छेड़ सताए हुए परिंदे हैं

क़फ़स में क़ैद करो या हमारे पर काटो

तुम्हारे जाल में आए हुए परिंदे हैं

हवा चलेगी तो बच्चे उड़ाएँगे उन को

ये काग़ज़ों से बनाए हुए परिंदे हैं

जमे हुए हैं ये शाख़ों पे इस तरह जैसे

शजर के साथ उगाए हुए परिंदे हैं

फ़लक पे जिन को सितारे समझ रहे हैं लोग

वो चाँदनी में नहाए हुए परिंदे हैं

बुलंदियाँ हैं हमारे मिज़ाज में शामिल

बुलंदियों से गिराए हुए परिंदे हैं

हमारे पास ही आएँगे लौट कर 'बाक़ी'

हमारे जितने सधाए हुए परिंदे हैं

(929) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

UDe Nahin Hain UDae Hue Parinde Hain In Hindi By Famous Poet Baqi Ahmad Puri. UDe Nahin Hain UDae Hue Parinde Hain is written by Baqi Ahmad Puri. Complete Poem UDe Nahin Hain UDae Hue Parinde Hain in Hindi by Baqi Ahmad Puri. Download free UDe Nahin Hain UDae Hue Parinde Hain Poem for Youth in PDF. UDe Nahin Hain UDae Hue Parinde Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share UDe Nahin Hain UDae Hue Parinde Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.