Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_ed5649f4c205b1f385e19174fe4e4937, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
उदास बाम है दर काटने को आता है - बाक़ी अहमदपुरी कविता - Darsaal

उदास बाम है दर काटने को आता है

उदास बाम है दर काटने को आता है

तिरे बग़ैर ये घर काटने को आता है

ख़याल-ए-मौसम-ए-गुल भी नहीं सितमगर को

बहार में भी शजर काटने को आता है

फ़क़ीह-ए-शहर से इंसाफ़ कौन माँगेगा

फ़क़ीह-ए-शहर तो सर काटने को आता है

इसी लिए तो किसानों ने खेत छोड़ दिए

कि कोई और समर काटने को आता है

तिरे ख़याल का आहू कहीं भी दिन में रहे

मगर वो रात इधर काटने को आता है

कहा तो था कि हमें इस क़दर भी ढील न दे

अब उड़ रहे हैं तो पर काटने को आता है

ये काम करते थे पहले सगान-ए-आवारा

बशर को आज बशर काटने का आता है

ये उस की राह नहीं है मगर यूँही 'बाक़ी'

वो मेरे साथ सफ़र काटने को आता है

(963) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Udas Baam Hai Dar KaTne Ko Aata Hai In Hindi By Famous Poet Baqi Ahmad Puri. Udas Baam Hai Dar KaTne Ko Aata Hai is written by Baqi Ahmad Puri. Complete Poem Udas Baam Hai Dar KaTne Ko Aata Hai in Hindi by Baqi Ahmad Puri. Download free Udas Baam Hai Dar KaTne Ko Aata Hai Poem for Youth in PDF. Udas Baam Hai Dar KaTne Ko Aata Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Udas Baam Hai Dar KaTne Ko Aata Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.