Hope Poetry of Baqaullah 'Baqa'
नाम | बक़ा उल्लाह 'बक़ा' |
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अंग्रेज़ी नाम | Baqaullah 'Baqa' |
ख़्वाहिश-ए-सूद थी सौदे में मोहब्बत के वले
देखा तो एक शो'ले से ऐ शैख़-ओ-बरहमन
यकसाँ लगें हैं उन को तो दैर-ओ-हरम बहम
सीखा जो क़लम से न-ए-ख़ाली का बजाना
सैर में तेरी है बुलबुल बोस्ताँ बे-कार है
नर्गिस-ए-मस्त तिरी जाए जो तुल बरसर-ए-गुल
ख़ाल-ए-लब आफ़त-ए-जाँ था मुझे मालूम न था
ख़ाल-ए-लब आफ़त-ए-जाँ था मुझे मालूम न था
इश्क़ में बू है किबरियाई की
इस लब से रस न चूसे क़दह और क़दह से हम
हाँ मियाँ सच है तुम्हारी तो बला ही जाने
छुप के नज़रों से इन आँखों की फ़रामोश की राह