सैर में तेरी है बुलबुल बोस्ताँ बे-कार है
सैर में तेरी है बुलबुल बोस्ताँ बे-कार है
बोस्ताँ ग़ैरत से ख़ुद उजड़ा ख़िज़ाँ बे-कार है
छोड़ कर आँसू को लख़्त-ए-दिल गया हम-राह-ए-आह
नाव ख़ुश्की में चली आब-ए-रवाँ बे-कार है
गह ज़मीं से बाम पर हूँ बाम से गह बर ज़मीं
इस तपिश से अपने घर की नर्दबाँ बे-कार है
आई अब फ़स्ल-ए-गुल और मुझ अंदलीब-ए-ज़ार का
है नशेमन शाख़-ए-गुल पर आशियाँ बे-कार है
यार से और हम से महफ़िल में बचा कर चश्म-ए-ग़ैर
है सुख़न ईमा में बाहम और ज़बाँ बे-कार है
मेरे डर से तू ने बिठलाया था दर पर पासबाँ
सो मैं हसरत से मुआ अब पासबाँ बे-कार है
ख़ल्क़ को मारे है चश्म उस की मुअत्तल है क़ज़ा
फ़ित्ना है उस की निगह में आसमाँ बे-कार है
माँगता हूँ बोसा मैं जिस दम तो उस दम यार के
कार में लब पर नहीं है दिल में हाँ बे-कार है
कार-फ़रमा देख कर ग़ैरों पे मैं उस से कहा
कार है मुझ से भी कुछ बोला कि हाँ बे-कार है
ऐ 'बक़ा'-ए-कारवाँ इस रेख़्ते की हर रदीफ़
गरचे है बे-कार पर बतला कहाँ बे-कार है
(756) Peoples Rate This