Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_7f20584d10db9f8975f2c934119f1d16, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दिल ख़ूँ है ग़म से और जिगर यक न-शुद दो शुद - बक़ा उल्लाह 'बक़ा' कविता - Darsaal

दिल ख़ूँ है ग़म से और जिगर यक न-शुद दो शुद

दिल ख़ूँ है ग़म से और जिगर यक न-शुद दो शुद

लब ख़ुश्क हैं तो चश्म है तर यक न-शुद दो शुद

रुस्वा तो नाला कर के हुए लेकिन उस ने यार

दिल में तिरे किया न असर यक न-शुद दो शुद

अव्वल तो हम को ताक़त-ए-परवाज़ ही न थी

तिस पर बुरीदा हो गए पर यक न-शुद दो शुद

पाया न हम ने सूद मोहब्बत में यार की

उस पर भी पहुँचता है ज़रर यक न-शुद दो शुद

छिड़का मिरे जिगर पे नमक ग़ैर से रहा

पैवस्ता मिस्ल-ए-शीर-ओ-शकर यक न-शुद दो शुद

आवारा-जूँ सबा हूँ पर अब जुस्तुजू-ए-यार

रखती है मुझ को ख़ाक बसर यक न-शुद दो शुद

मुश्किल था देखना ही तिरा तिस पे रोज़-ए-वस्ल

लाई न चश्म ताब-ए-नज़र यक न-शुद दो शुद

नालाँ हम अपने अश्क के हाथों थे अब 'बक़ा'

बहने लगें हैं लख़्त-ए-जिगर यक न-शुद दो शुद

(834) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dil KHun Hai Gham Se Aur Jigar Yak Na-shud Do Shud In Hindi By Famous Poet Baqaullah 'Baqa'. Dil KHun Hai Gham Se Aur Jigar Yak Na-shud Do Shud is written by Baqaullah 'Baqa'. Complete Poem Dil KHun Hai Gham Se Aur Jigar Yak Na-shud Do Shud in Hindi by Baqaullah 'Baqa'. Download free Dil KHun Hai Gham Se Aur Jigar Yak Na-shud Do Shud Poem for Youth in PDF. Dil KHun Hai Gham Se Aur Jigar Yak Na-shud Do Shud is a Poem on Inspiration for young students. Share Dil KHun Hai Gham Se Aur Jigar Yak Na-shud Do Shud with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.