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Baqaullah 'Baqa' Heart Broken In Hindi - Best Heart Broken Of Baqaullah 'Baqa' Poetry Collection In Hindi - Darsaal

Heart Broken Poetry of Baqaullah 'Baqa'

Heart Broken Poetry of Baqaullah 'Baqa'
नामबक़ा उल्लाह 'बक़ा'
अंग्रेज़ी नामBaqaullah 'Baqa'

मत तंग हो करे जो फ़लक तुझ को तंग-दस्त

काबा तो संग-ओ-ख़िश्त से ऐ शैख़ मिल बना

इस बज़्म में पूछे न कोई मुझ से कि क्या हूँ

ये रुख़-ए-यार नहीं ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ के तले

थे हम इस्तादा तिरे दर पे वले बैठ गए

सीखा जो क़लम से न-ए-ख़ाली का बजाना

सैर में तेरी है बुलबुल बोस्ताँ बे-कार है

रखता है यूँ वो ज़ुल्फ़-ए-सियह-फ़ाम दोश पर

मुझे तो इश्क़ में अब ऐश-ओ-ग़म बराबर है

मेरी गो आह से जंगल न जले ख़ुश्क तो हो

मत तंग हो करे जो फ़लक तुझ को तंग-दस्त

काबा तो संग-ओ-ख़िश्त से ऐ शैख़ मिल बना

जो तुम और सुब्ह और गुलनार-ए-ख़ंदाँ हो के मिल बैठे

जो चश्म-ओ-दिल से चढ़ा दूँ नाले ब-आब-ए-अव्वल दोवम-ब-आतिश

जब मेरे दिल जिगर की तिलिस्में बनाइयाँ

इश्क़ में बू है किबरियाई की

हाँ मियाँ सच है तुम्हारी तो बला ही जाने

दिल ख़ूँ है ग़म से और जिगर यक-न-शुद दो-शुद

दिल ख़ूँ है ग़म से और जिगर यक न-शुद दो शुद

दस्त-ए-नासेह जो मिरे जेब को इस बार लगा

छुप के नज़रों से इन आँखों की फ़रामोश की राह

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