Friendship Poetry of Baqaullah 'Baqa'
नाम | बक़ा उल्लाह 'बक़ा' |
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अंग्रेज़ी नाम | Baqaullah 'Baqa' |
ये रुख़-ए-यार नहीं ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ के तले
यकसाँ लगें हैं उन को तो दैर-ओ-हरम बहम
सैर में तेरी है बुलबुल बोस्ताँ बे-कार है
रखता है यूँ वो ज़ुल्फ़-ए-सियह-फ़ाम दोश पर
इस लब से रस न चूसे क़दह और क़दह से हम
हाँ मियाँ सच है तुम्हारी तो बला ही जाने
ग़ैरत-ए-गुल है तू और चाक-गरेबाँ हम हैं
दिल ख़ूँ है ग़म से और जिगर यक-न-शुद दो-शुद
दिल ख़ूँ है ग़म से और जिगर यक न-शुद दो शुद
आहें अफ़्लाक में मिल जाती हैं