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Baqar Mehdi Sad In Hindi - Best Sad Of Baqar Mehdi Poetry Collection In Hindi - Page 2 - Darsaal

Sad Poetry of Baqar Mehdi (page 2)

Sad Poetry of Baqar Mehdi (page 2)
नामबाक़र मेहदी
अंग्रेज़ी नामBaqar Mehdi
जन्म की तारीख1927
मौत की तिथि2006
जन्म स्थानMumbai

कौन भला ये कहता है ख़ुद आ के हम को मनाएँ आप

जो ज़माने का हम-ज़बाँ न रहा

इश्क़ की सारी बातें ऐ दिल पागल-पन की बातें हैं

इस दर्जा हुआ ख़ुश कि डरा दिल से बहुत मैं

हज़ार चाहा लगाएँ किसी से दिल लेकिन

गूँजता शहरों में तन्हाई का सन्नाटा तो है

फ़रेब खा के भी शर्मिंदा-ए-सुकूँ न हुए

दुश्मन-ए-जाँ कोई बना ही नहीं

दीवानगी की राह में गुम-सुम हुआ न था!

दश्त-ए-वफ़ा में ठोकरें खाने का शौक़ था

दर्द-ए-दिल आज भी है जोश-ए-वफ़ा आज भी है

चराग़-ए-हसरत-ओ-अरमाँ बुझा के बैठे हैं

चाहा बहुत कि इश्क़ की फिर इब्तिदा न हो

बुझी बुझी है सदा-ए-नग़्मा कहीं कहीं हैं रबाब रौशन

बरसों पढ़ कर सरकश रह कर ज़ख़्मी हो कर समझा मैं

बहुत ज़ी-फ़हम हैं दुनिया को लेकिन कम समझते हैं!

बदल के रख देंगे ये तसव्वुर कि आदमी का वक़ार क्या है

और कोई जो सुने ख़ून के आँसू रोए

अश्क मेरे हैं मगर दीदा-ए-नम है उस का

अजीब दिल में मिरे आज इज़्तिराब सा है!

अब ख़ानुमाँ-ख़राब की मंज़िल यहाँ नहीं

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