Love Poetry of Baqar Mehdi
नाम | बाक़र मेहदी |
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अंग्रेज़ी नाम | Baqar Mehdi |
जन्म की तारीख | 1927 |
मौत की तिथि | 2006 |
जन्म स्थान | Mumbai |
सैलाब-ए-ज़िंदगी के सहारे बढ़े चलो
मुझे दुश्मन से अपने इश्क़ सा है
मेरे सनम-कदे में कई और बुत भी हैं
काफ़िरी इश्क़ का शेवा है मगर तेरे लिए
जाने क्यूँ उन से मिलते रहते हैं
ये रात
उस ने कहा!
टूटे शीशे की आख़िरी नज़्म
सज़ा
रेत और दर्द
निरवान
जहन्नम
हमारे ब'अद
गोडो
दीमक
धरती का बोझ
बहुत है एक नज़र
अलविदा'अ
ज़र्रे का राज़ मेहर को समझाना चाहिए
वो रिंद क्या कि जो पीते हैं बे-ख़ुदी के लिए
सादा काग़ज़ पे कोई नाम कभी लिख लेना!
लरज़ लरज़ के न टूटें तो वो सितारे क्या
क्या क्या नहीं किया मगर उन पर असर नहीं
क्या ख़बर थी कि कभी बे-सर-ओ-सामाँ होंगे
ख़बर सुनेगा मिरी मौत की तो ख़ुश होगा
कौन भला ये कहता है ख़ुद आ के हम को मनाएँ आप
इश्क़ की सारी बातें ऐ दिल पागल-पन की बातें हैं
इस दर्जा हुआ ख़ुश कि डरा दिल से बहुत मैं
गूँजता शहरों में तन्हाई का सन्नाटा तो है
फ़रेब खा के भी शर्मिंदा-ए-सुकूँ न हुए