Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_vvaqsmhtijr4c3rsrs3c7vt4k4, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
बदल के रख देंगे ये तसव्वुर कि आदमी का वक़ार क्या है - बाक़र मेहदी कविता - Darsaal

बदल के रख देंगे ये तसव्वुर कि आदमी का वक़ार क्या है

बदल के रख देंगे ये तसव्वुर कि आदमी का वक़ार क्या है

ख़ला में वो चाँद नाचता है ज़माँ मकाँ का हिसार क्या है

बहक गए थे सँभल गए हैं सितम की हद से निकल गए हैं

हम अहल-ए-दिल ये समझ गए हैं कशाकश-ए-रोज़गार क्या है

अभी न पूछो कि लाला-ज़ारों से उठ रहा है धुआँ वो कैसा

मगर ये देखो कि फूल बनने का आरज़ू-मंद ख़ार क्या है

वही बने दुश्मन-ए-तमन्ना जिन्हें सिखाया था हम ने जीना

अगर ये पूछें तो किस से पूछें कि दोस्ती का शिआ'र क्या है

कभी है शबनम कभी शरारा फ़लक से टूटा तो एक तारा

ग़म-ए-मोहब्बत के राज़दारो ये गौहर-ए-आबदार क्या है

बहार की तुम नई कली हो अभी अभी झूम कर खिली हो

मगर कभी हम से यूँही पूछो कि हसरतों का मज़ार क्या है

ब-ईं तबाही दिखाए हम ने वो मो'जिज़े आशिक़ी के तुम को

ब-ईं अदावत कभी न कहना कि आप सा ख़ाकसार क्या है

बने कोई इल्म ओ फ़न का मालिक कि मैं हूँ राह-ए-वफ़ा का सालिक

नहीं है शोहरत की फ़िक्र 'बाक़र' ग़ज़ल का इक राज़दार क्या है

(836) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Badal Ke Rakh Denge Ye Tasawwur Ki Aadmi Ka Waqar Kya Hai In Hindi By Famous Poet Baqar Mehdi. Badal Ke Rakh Denge Ye Tasawwur Ki Aadmi Ka Waqar Kya Hai is written by Baqar Mehdi. Complete Poem Badal Ke Rakh Denge Ye Tasawwur Ki Aadmi Ka Waqar Kya Hai in Hindi by Baqar Mehdi. Download free Badal Ke Rakh Denge Ye Tasawwur Ki Aadmi Ka Waqar Kya Hai Poem for Youth in PDF. Badal Ke Rakh Denge Ye Tasawwur Ki Aadmi Ka Waqar Kya Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Badal Ke Rakh Denge Ye Tasawwur Ki Aadmi Ka Waqar Kya Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.