Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_ffacc945854b718c0341baebd7214bfe, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
अश्क मेरे हैं मगर दीदा-ए-नम है उस का - बाक़र मेहदी कविता - Darsaal

अश्क मेरे हैं मगर दीदा-ए-नम है उस का

अश्क मेरे हैं मगर दीदा-ए-नम है उस का

ये जो होंटों पे तबस्सुम है करम है उस का

अन-कही बात भला लिक्खूँ तो लिक्खूँ कैसे

सादे काग़ज़ पे कोई राज़ रक़म है उस का

फ़ासले ऐसे कि इक उम्र में तय हो न सकें

क़ुर्बतें ऐसी कि ख़ुद मुझ में जनम है उस का

संग-ओ-आहन का बड़ा शहर भी वीराना लगे

ये जुनूँ मेरा है और दश्त-ए-सितम है उस का

दर्द बन कर मिरे सीने में पड़ा रहता है

ये मिरा दिल है कि इक नक़्श-ए-क़दम है उस का?

एक तूफ़ाँ की तरह कब से किनारा-कश है

फिर भी 'बाक़र' मिरी नज़रों में भरम है उस का

(784) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ashk Mere Hain Magar Dida-e-nam Hai Us Ka In Hindi By Famous Poet Baqar Mehdi. Ashk Mere Hain Magar Dida-e-nam Hai Us Ka is written by Baqar Mehdi. Complete Poem Ashk Mere Hain Magar Dida-e-nam Hai Us Ka in Hindi by Baqar Mehdi. Download free Ashk Mere Hain Magar Dida-e-nam Hai Us Ka Poem for Youth in PDF. Ashk Mere Hain Magar Dida-e-nam Hai Us Ka is a Poem on Inspiration for young students. Share Ashk Mere Hain Magar Dida-e-nam Hai Us Ka with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.