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दीवारें - बलराज कोमल कविता - Darsaal

दीवारें

कहते हैं सब लोग

होते हैं

दीवारों के कान

कमरों की तन्हाई में

सरगोशी में क्या क्या बातें करते हैं

छुप छुप कर जब लोग

दीवारें सब सुन लेती हैं

सुन लेते हैं लोग

दीवारों की आँख भी होती है

कितना अच्छा होता

आँख है कान से बेहतर शायद

कमरे का हो या फिर चलती राहगुज़र का

नज़्ज़ारा तो नज़्ज़ारा है

मंज़र आख़िर मंज़र है

क्या क्या करते लोग

देखा करते लोग

दीवारों के बाहर से

तारीकी में दीवारों की जानिब जब भी क़दम उठाते

लम्हा-भर को मुमकिन है

सोचा करते लोग

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Diwaren In Hindi By Famous Poet Balraj Komal. Diwaren is written by Balraj Komal. Complete Poem Diwaren in Hindi by Balraj Komal. Download free Diwaren Poem for Youth in PDF. Diwaren is a Poem on Inspiration for young students. Share Diwaren with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.