Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_ad430cc565a5e09d84eee959a40e787c, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
अकेली - बलराज कोमल कविता - Darsaal

अकेली

अजनबी अपने क़दमों को रोको ज़रा

जानती हूँ तुम्हारे लिए ग़ैर हूँ

फिर भी ठहरो ज़रा

सुनते जाओ ये अश्कों-भरी दास्ताँ

साथ लेते चलो ये मुजस्सम फ़ुग़ाँ

आज दुनिया में मेरा कोई भी नहीं

मेरी अम्मी नहीं

मेरे अब्बा नहीं

मेरी आपा नहीं

मेरे नन्हे से मासूम भय्या नहीं

मेरी इस्मत की मग़रूर किरनें नहीं

वो घरौंदा नहीं जिस के साए-तले

बोरियों के तरन्नुम को सुनती रही

फूल चुनती रही

गीत गाती रही

मुस्कुराती रही

आज कुछ भी नहीं

आज कुछ भी नहीं

मेरी नज़रों के सहमे हुए आईने

मेरी अम्मी के अब्बा के आपा के और मेरे नन्हे से मासूम भय्या के ख़ूँ से

हैं दहशत-ज़दा

आज मेरी निगाहों की वीरानियाँ चंद मजरूह यादों से आबाद हैं

आज मेरी उमंगों के सूखे कँवल मेरे अश्कों के पानी से शादाब हैं

आज मेरी तड़पती हुई सिसकियाँ एक साज़-ए-शिकस्ता की फ़रियाद हैं

और कुछ भी नहीं

भूक मिटती नहीं

तन पे कपड़ा नहीं

आस मादूम है

आज दुनिया में मेरा कोई भी नहीं

आज दुनिया में मेरा कोई भी नहीं

अजनबी अपने क़दमों को रोको ज़रा

सुनते जाओ ये अश्कों-भरी दास्ताँ

सुनते जाओ ये अश्कों-भरी दास्ताँ

साथ लेते चलो ये मुजस्सम फ़ुग़ाँ

मेरी अम्मी बनो

मेरे अब्बा बन्नो

मेरी आपा बनो

मेरे नन्हे से मासूम भय्या बनो

मेरे इस्मत की मग़रूर किरनें बनो

मेरे कुछ तो बनो

मेरे कुछ तो बनो

मेरे कुछ तो बनो

(1462) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Akeli In Hindi By Famous Poet Balraj Komal. Akeli is written by Balraj Komal. Complete Poem Akeli in Hindi by Balraj Komal. Download free Akeli Poem for Youth in PDF. Akeli is a Poem on Inspiration for young students. Share Akeli with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.