हवस शामिल है थोड़ी सी दुआ में
अभी इस लौ में हल्का सा धुआँ है
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ख़्वाब नद्दी सा गुज़र जाएगा
चाल अपनी अदा से चलते हैं
कौन कहता है ठहर जाना है
जो है चश्मा उसे सराब करो
हुए हम बे-सर-ओ-सामान लेकिन
मिरे कुछ भी कहे को काटता है
बार-ए-दीगर ये फ़लसफ़े देखूँ
ज़ेर-ए-लब रख छुपा के नाम उस का
हमें इस तरह ही होना था आबाद
गो ज़रा तेज़ शुआएँ थीं ज़रा मंद थे हम
एक नश्शा है ख़ुद-नुमाई भी
समाअ'त के लिए इक इम्तिहाँ है