कौन कहता है ठहर जाना है
कौन कहता है ठहर जाना है
रंग चढ़ना है उतर जाना है
ज़िंदगी से रही सोहबत बरसों
जाते जाते ही असर जाना है
टूटने को हैं सदाएँ मेरी
ख़ामुशी तुझ को बिखर जाना है
ख़्वाब नद्दी सा गुज़र जाएगा
दश्त आँखों में ठहर जाना है
कोई दिन हम भी न याद आएँगे
आख़िरश तू भी बिसर जाना है
कोई दरिया न समुंदर न सराब
तिश्नगी बोल किधर जाना है
लग़्ज़िशें जाएँगी जाते जाते
नश्शा माना कि उतर जाना है
नक़्शा छोड़ा है हवा ने कोई
कौन सी सम्त सफ़र जाना है
ज़िंदगी से हैं पशेमाँ हम भी
कल ये दावा था कि मर जाना है
(924) Peoples Rate This