Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_10370c9459ff80d845fd5e743fa6b85b, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
कम न होगी ये सरगिरानी क्या - बकुल देव कविता - Darsaal

कम न होगी ये सरगिरानी क्या

कम न होगी ये सरगिरानी क्या

यूँ ही गुज़रेगी ज़िंदगानी क्या

अश्क पहले कहाँ निकलते थे

हो गई आग पानी पानी क्या

सारे किरदार एक ही सफ़ में

ख़त्म होने को है कहानी क्या

आइने में है फिर वही सूरत

यूँ ही होती है तर्जुमानी क्या

रब्त कितना है दो किनारों में

कोई दरिया है दरमियानी क्या

मुस्कुराहट पे हैरती की गिरह

और खुलने लगे मआ'नी क्या

(723) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kam Na Hogi Ye Sargirani Kya In Hindi By Famous Poet Bakul Dev. Kam Na Hogi Ye Sargirani Kya is written by Bakul Dev. Complete Poem Kam Na Hogi Ye Sargirani Kya in Hindi by Bakul Dev. Download free Kam Na Hogi Ye Sargirani Kya Poem for Youth in PDF. Kam Na Hogi Ye Sargirani Kya is a Poem on Inspiration for young students. Share Kam Na Hogi Ye Sargirani Kya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.