Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_df5c69cb87bb2c09c414e7e67c476bf6, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हमें रास आनी है राहों की गठरी - बकुल देव कविता - Darsaal

हमें रास आनी है राहों की गठरी

हमें रास आनी है राहों की गठरी

रखो पास अपनी पनाहों की गठरी

बदल जाए काश इस हसीं मरहले पर

हमारी तुम्हारी गुनाहों की गठरी

मोहब्बत की राहें थीं हमवार लेकिन

हमीं ढो न पाए निबाहों की गठरी

तकल्लुफ़ के सामान बिखरे थे बाहम

सो बाँधे रहे हम भी बाँहों की गठरी

उजाले के हैं इन दिनों दाम ऊँचे

चलो लूट लें रू-सियाहों की गठरी

धरी रह गई मुंसिफ़-ए-दिल के आगे

बयानों की गठरी गवाहों की गठरी

न उगली ही जाए न निगले बने है

गले में फँसी एक आहों की गठरी

ये सूखी हुई फ़स्ल-ए-ग़म जी उठेगी

अगर खुल गई इन निगाहों की गठरी

उठेंगी किसी रोज़ सैलाब बन कर

ये आबादियाँ हैं तबाहों की गठरी

मिरी सीधी सादी सी बातों पे मत जा

मिरी ज़ात है कज-कुलाहों की गठरी

(929) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Hamein Ras Aani Hai Rahon Ki GaThri In Hindi By Famous Poet Bakul Dev. Hamein Ras Aani Hai Rahon Ki GaThri is written by Bakul Dev. Complete Poem Hamein Ras Aani Hai Rahon Ki GaThri in Hindi by Bakul Dev. Download free Hamein Ras Aani Hai Rahon Ki GaThri Poem for Youth in PDF. Hamein Ras Aani Hai Rahon Ki GaThri is a Poem on Inspiration for young students. Share Hamein Ras Aani Hai Rahon Ki GaThri with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.