Love Poetry of Bakhsh Layalpuri
नाम | बख़्श लाइलपूरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Bakhsh Layalpuri |
जन्म की तारीख | 1934 |
मौत की तिथि | 2002 |
जन्म स्थान | London |
कभी आँखों पे कभी सर पे बिठाए रखना
हुसूल-ए-मंज़िल-ए-जाँ का हुनर नहीं आया
घर भी वीराना लगे ताज़ा हवाओं के बग़ैर
दर्द-ए-हिजरत के सताए हुए लोगों को कहीं
उसी के ज़ुल्म से मैं हालत-ए-पनाह में था
तिश्नगी-ए-लब पे हम अक्स-ए-आब लिक्खेंगे
रुत न बदले तो भी अफ़्सुर्दा शजर लगता है
रुख़-ए-हयात है शर्मिंदा-ए-जमाल बहुत
कोई शय दिल को बहलाती नहीं है
कभी आँखों पे कभी सर पे बिठाए रखना
हुसूल-ए-मंज़िल-ए-जाँ का हुनर नहीं आया