हमारे ख़्वाब चोरी हो गए हैं
हमें रातों को नींद आती नहीं है
Allama Iqbal
Rahat Indori
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Jaun Eliya
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1069) Peoples Rate This
कभी आँखों पे कभी सर पे बिठाए रखना
क़ातिल हुआ ख़मोश तो तलवार बोल उठी
तिश्नगी-ए-लब पे हम अक्स-ए-आब लिक्खेंगे
घर भी वीराना लगे ताज़ा हवाओं के बग़ैर
रुख़-ए-हयात है शर्मिंदा-ए-जमाल बहुत
समुंदर का तमाशा कर रहा हूँ
रुत न बदले तो भी अफ़्सुर्दा शजर लगता है
मिरे हर लफ़्ज़ की तौक़ीर रहने के लिए है
पड़े हैं राह में जो लोग बे-सबब कब से
कोई शय दिल को बहलाती नहीं है
हुसूल-ए-मंज़िल-ए-जाँ का हुनर नहीं आया