मिरे हर लफ़्ज़ की तौक़ीर रहने के लिए है
मिरे हर लफ़्ज़ की तौक़ीर रहने के लिए है
मैं ज़िंदा हूँ मिरी तहरीर रहने के लिए है
सितम-गर ने जो पहनाई मिरे दस्त-ए-तलब में
ये मत समझो कि वो ज़ंजीर रहने के लिए है
मिरा आईना-ए-तसनीफ़ देता है गवाही
मिरा हर नुक़्ता-ए-तफ़सीर रहने के लिए है
रहेगा तू न तेरा ज़ुल्म पर रोज़-ए-अबद तक
हमारे दर्द की जागीर रहने के लिए है
जिसे मेरी निगाहों ने कभी देखा नहीं है
मिरे दिल में वही तस्वीर रहने के लिए है
सर-ए-बातिल किया दो लख़्त जिस ने भी जहाँ में
सलामत बस वही शमशीर रहने के लिए है
जुनून-ए-शौक़-ए-तख़रीब-ए-जहाँ मिट कर रहेगा
मगर हर जज़्बा-ए-तामीर रहने के लिए है
न लिखा शेर कोई और समझ बैठे हैं नादाँ
अदब में हरबा-ए-तशहीर रहने के लिए है
गुज़र जाएँगे हम दार-ए-फ़ना से 'बख़्श' लेकिन
हमारे शेर की तासीर रहने के लिए है
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