Love Poetry of Bahram Ji
नाम | बहराम जी |
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अंग्रेज़ी नाम | Bahram Ji |
रिश्ता-ए-उल्फ़त रग-ए-जाँ में बुतों का पड़ गया
इश्क़ में दिल से हम हुए महव तुम्हारे ऐ बुतो
यार को हम ने बरमला देखा
कुफ़्र एक रंग-ए-क़ुदरत-ए-बे-इंतिहा में है
कब तसव्वुर यार-ए-गुल-रुख़्सार का फ़े'अल-ए-अबस
जो है याँ अासाइश-ए-रंज-ओ-मेहन में मस्त है
हम न बुत-ख़ाने में ने मस्जिद-ए-वीराँ में रहे
ग़मगीं नहीं हूँ दहर में तो शाद भी नहीं
दूर हो दर्द-ए-दिल ये और दर्द-ए-जिगर किसी तरह
दुनिया में इबादत को तिरी आए हुए हैं
बहस क्यूँ है काफ़िर-ओ-दीं-दार की