Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_1967188dcea1c0169762dd8dfaea226b, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हो चुका वाज़ का असर वाइज़ - बहराम जी कविता - Darsaal

हो चुका वाज़ का असर वाइज़

हो चुका वाज़ का असर वाइज़

अब तो रिंदों से दर-गुज़र वाइज़

सुब्ह-दम हम से तू न कर तकरार

है हमें पहले दर्द-ए-सर वाइज़

बज़्म-ए-रिंदाँ में हो अगर शामिल

फिर तुझे कुछ नहीं ख़तर वाइज़

वाज़ अपना ये भूल जाए तू

आवे गर यार-ए-सीम-बर वाइज़

है ये मुर्ग़-ए-सहर से भी फ़ाइक़

सुब्ह उठता है पेशतर वाइज़

मस्जिद-ओ-काबा में तू फिरता है

कू-ए-जानाँ से बे-ख़बर वाइज़

शोर-ओ-गुल बंद तो नहीं करता

है तू इंसाँ कि कोई ख़र वाइज़

ज़ाहिरी वाज़ से है क्या हासिल

अपने बातिन को साफ़ कर वाइज़

बंदा-ए-कू-ए-यार है 'बहराम'

तेरी मस्जिद से क्या ख़बर वाइज़

(815) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ho Chuka Waz Ka Asar Waiz In Hindi By Famous Poet Bahram Ji. Ho Chuka Waz Ka Asar Waiz is written by Bahram Ji. Complete Poem Ho Chuka Waz Ka Asar Waiz in Hindi by Bahram Ji. Download free Ho Chuka Waz Ka Asar Waiz Poem for Youth in PDF. Ho Chuka Waz Ka Asar Waiz is a Poem on Inspiration for young students. Share Ho Chuka Waz Ka Asar Waiz with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.