Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_31d4440dd8ed60954c096e3d877899b2, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दुनिया में इबादत को तिरी आए हुए हैं - बहराम जी कविता - Darsaal

दुनिया में इबादत को तिरी आए हुए हैं

दुनिया में इबादत को तिरी आए हुए हैं

पर हुस्न-ए-बुताँ देख के घबराए हुए हैं

अफ़्सोस इबादत न तिरी हो सकी हम से

गर्दन नहीं उठती है कि शरमाए हुए हैं

इल्ज़ाम नहीं तूर जो सुर्मा हुआ जल कर

मूसा भी तजल्ली से तो शरमाए हुए हैं

मैं बरहमन ओ शैख़ की तकरार से समझा

पाया नहीं उस यार को झुँझलाए हुए हैं

काबे से न रग़बत हमें ने दैर की ख़्वाहिश

हम ख़ाना-ए-दिल में जो उसे पाए हुए हैं

है कौन सी जा हो जो तिरे जल्वे से ख़ाली

मज़मून हम अब दिल में यही लाए हुए हैं

ज़िल्लत के ख़रीदार हुए हिर्स के बंदे

हाजत के लिए हाथ जो फैलाए हुए हैं

जिस क़ौम में देखा तो तजस्सुस तिरा पाया

मअ'बद तिरे हर क़ौम में ठहराए हुए हैं

'बहराम' ग़ज़ल और भी इक उन को सुना दे

मुश्ताक़ तिरी बज़्म में सब आए हुए हैं

(1169) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Duniya Mein Ibaadat Ko Teri Aae Hue Hain In Hindi By Famous Poet Bahram Ji. Duniya Mein Ibaadat Ko Teri Aae Hue Hain is written by Bahram Ji. Complete Poem Duniya Mein Ibaadat Ko Teri Aae Hue Hain in Hindi by Bahram Ji. Download free Duniya Mein Ibaadat Ko Teri Aae Hue Hain Poem for Youth in PDF. Duniya Mein Ibaadat Ko Teri Aae Hue Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Duniya Mein Ibaadat Ko Teri Aae Hue Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.