Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_196b3c4d8aafbdc510e0150803ae5a03, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
या मुझे अफ़सर-ए-शाहाना बनाया होता - ज़फ़र कविता - Darsaal

या मुझे अफ़सर-ए-शाहाना बनाया होता

या मुझे अफ़सर-ए-शाहाना बनाया होता

या मिरा ताज गदायाना बनाया होता

अपना दीवाना बनाया मुझे होता तू ने

क्यूँ ख़िरद-मंद बनाया न बनाया होता

ख़ाकसारी के लिए गरचे बनाया था मुझे

काश ख़ाक-ए-दर-ए-जानाना बनाया होता

नश्शा-ए-इश्क़ का गर ज़र्फ़ दिया था मुझ को

उम्र का तंग न पैमाना बनाया होता

दिल-ए-सद-चाक बनाया तो बला से लेकिन

ज़ुल्फ़-ए-मुश्कीं का तिरे शाना बनाया होता

सूफ़ियों के जो न था लायक़-ए-सोहबत तो मुझे

क़ाबिल-ए-जलसा-ए-रिंदाना बनाया होता

था जलाना ही अगर दूरी-ए-साक़ी से मुझे

तो चराग़-ए-दर-ए-मय-ख़ाना बनाया होता

शोला-ए-हुस्न चमन में न दिखाया उस ने

वर्ना बुलबुल को भी परवाना बनाया होता

रोज़ मामूरा-ए-दुनिया में ख़राबी है 'ज़फ़र'

ऐसी बस्ती को तो वीराना बनाया होता

(3000) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ya Mujhe Afsar-e-shahana Banaya Hota In Hindi By Famous Poet Bahadur Shah Zafar. Ya Mujhe Afsar-e-shahana Banaya Hota is written by Bahadur Shah Zafar. Complete Poem Ya Mujhe Afsar-e-shahana Banaya Hota in Hindi by Bahadur Shah Zafar. Download free Ya Mujhe Afsar-e-shahana Banaya Hota Poem for Youth in PDF. Ya Mujhe Afsar-e-shahana Banaya Hota is a Poem on Inspiration for young students. Share Ya Mujhe Afsar-e-shahana Banaya Hota with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.