Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_cbq1t9crukr163st2um7em2s36, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
गालियाँ तनख़्वाह ठहरी है अगर बट जाएगी - ज़फ़र कविता - Darsaal

गालियाँ तनख़्वाह ठहरी है अगर बट जाएगी

गालियाँ तनख़्वाह ठहरी है अगर बट जाएगी

आशिक़ों के घर मिठाई लब शकर बट जाएगी

रू-ब-रू गर होगा यूसुफ़ और तू आ जाएगा

उस की जानिब से ज़ुलेख़ा की नज़र बट जाएगी

रहज़नों में नाज़-ओ-ग़म्ज़ा की ये जिंस-ए-दीन-ओ-दिल

जूँ मता-ए-बुर्दा आख़िर हम-दिगर बट जाएगी

होगा क्या गर बोल उट्ठे ग़ैर बातों में मिरी

फिर तबीअत मेरी ऐ बेदाद गर बट जाएगी

दौलत-ए-दुनिया नहीं जाने की हरगिज़ तेरे साथ

बाद तेरे सब यहीं ऐ बे-ख़बर बट जाएगी

कर ले ऐ दिल जान को भी रंज-ओ-ग़म में तू शरीक

ये जो मेहनत तुझ पे है कुछ कुछ मगर बट जाएगी

मूँग छाती पे जो दलते हैं किसी की देखना

जूतियों में दाल उन की ऐ 'ज़फ़र' बट जाएगी

(929) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Galiyan TanKHwah Thahri Hai Agar BaT Jaegi In Hindi By Famous Poet Bahadur Shah Zafar. Galiyan TanKHwah Thahri Hai Agar BaT Jaegi is written by Bahadur Shah Zafar. Complete Poem Galiyan TanKHwah Thahri Hai Agar BaT Jaegi in Hindi by Bahadur Shah Zafar. Download free Galiyan TanKHwah Thahri Hai Agar BaT Jaegi Poem for Youth in PDF. Galiyan TanKHwah Thahri Hai Agar BaT Jaegi is a Poem on Inspiration for young students. Share Galiyan TanKHwah Thahri Hai Agar BaT Jaegi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.