Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_bfa03f65b6de367df4990770ed0c3998, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
इक़रार किसी दिन है तो इंकार किसी दिन - बद्र वास्ती कविता - Darsaal

इक़रार किसी दिन है तो इंकार किसी दिन

इक़रार किसी दिन है तो इंकार किसी दिन

हो जाएगी अब आप से तकरार किसी दिन

चाहा कभी सोचा कभी तस्वीर बनाई

छोड़ा न तिरी याद ने बेकार किसी दिन

पलकों पे सितारे लिए राहों में खड़े हैं

फ़ुर्सत हो तो आ जाइए सरकार किसी दिन

दुनिया में सदा चलती है चाहत की हुकूमत

आ जाओ मना लेंगे हम इतवार किसी दिन

आया है अकेला तुझे जाना है अकेला

बस देखते रह जाएँगे सब यार किसी दिन

दौलत के ये अम्बार तिरा साथ न देंगे

गिर जाएगी नादान ये दीवार किसी दिन

अच्छी नहीं लगती हमें आदत ये तिरी 'बद्र'

हर बार कभी और तो हर बार किसी दिन

(1028) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Iqrar Kisi Din Hai To Inkar Kisi Din In Hindi By Famous Poet Badr Wasti. Iqrar Kisi Din Hai To Inkar Kisi Din is written by Badr Wasti. Complete Poem Iqrar Kisi Din Hai To Inkar Kisi Din in Hindi by Badr Wasti. Download free Iqrar Kisi Din Hai To Inkar Kisi Din Poem for Youth in PDF. Iqrar Kisi Din Hai To Inkar Kisi Din is a Poem on Inspiration for young students. Share Iqrar Kisi Din Hai To Inkar Kisi Din with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.