Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_5ba3c438c26f4cfd93a2235482ba12a8, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जो झुक के मिलते थे जलसों में मेहरबाँ की तरह - बदनाम नज़र कविता - Darsaal

जो झुक के मिलते थे जलसों में मेहरबाँ की तरह

जो झुक के मिलते थे जलसों में मेहरबाँ की तरह

हुए हैं सर पे मुसल्लत वो आसमाँ की तरह

मुझे जो खोलो तो साहिल क़रीब कर दूँगा

समुंदरों में मैं रहता हूँ बादबाँ की तरह

तुम्हारे शहर के जबरी निज़ाम में कुछ लोग

कभी हँसे भी तो आवाज़ थी फ़ुग़ाँ की तरह

है तेज़ धूप सफ़र लम्बा पर तुम्हारी याद

है एक साया मिरे सर पे साएबाँ की तरह

न कोई पत्ता हरा है न कोई फूल खिला

बहार भी मिरे घर आई है ख़िज़ाँ की तरह

न साफ़ ज़ेहन न चेहरे के ख़ाल-ओ-ख़त रौशन

फ़ज़ाओं में है हर इक शय धुआँ धुआँ की तरह

जहाँ भी जाऊँ मैं वो दश्त हो कि दरिया हो

दुआएँ माँ की चलें साथ पासबाँ की तरह

'नज़र' के नाम का इक शख़्स कुछ जुनूनी सा

अकेला दश्त में चलता है कारवाँ की तरह

(834) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jo Jhuk Ke Milte The Jalson Mein Mehrban Ki Tarah In Hindi By Famous Poet Badnam Nazar. Jo Jhuk Ke Milte The Jalson Mein Mehrban Ki Tarah is written by Badnam Nazar. Complete Poem Jo Jhuk Ke Milte The Jalson Mein Mehrban Ki Tarah in Hindi by Badnam Nazar. Download free Jo Jhuk Ke Milte The Jalson Mein Mehrban Ki Tarah Poem for Youth in PDF. Jo Jhuk Ke Milte The Jalson Mein Mehrban Ki Tarah is a Poem on Inspiration for young students. Share Jo Jhuk Ke Milte The Jalson Mein Mehrban Ki Tarah with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.