भागते सूरज को पीछे छोड़ कर जाएँगे हम

भागते सूरज को पीछे छोड़ कर जाएँगे हम

शाम के होते ही वापस अपने घर जाएँगे हम

काटने को एक शब ठहरे हैं तेरे शहर में

क्या बताएँ सुब्ह होगी तो किधर जाएँगे हम

धूप में फूलों सा मुरझा भी गए तो क्या हुआ

शहर से होंटों के पैमाने तो भर जाएँगे हम

आज गर्दूं की बुलंदी नापने में महव हैं

कल किसी गहरे समुंदर में उतर जाएँगे हम

ढूँडते खोया हुआ चेहरा किसी शीशे में क्यूँ

जानते गर ये कि साए से भी डर जाएँगे हम

कुछ हमारा हाल भी 'ख़ावर' है कुंदन की तरह

दुख के शो'लों में जलेंगे तो निखर जाएँगे हम

(687) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Bhagte Suraj Ko Pichhe ChhoD Kar Jaenge Hum In Hindi By Famous Poet Badiuzzama Khawar. Bhagte Suraj Ko Pichhe ChhoD Kar Jaenge Hum is written by Badiuzzama Khawar. Complete Poem Bhagte Suraj Ko Pichhe ChhoD Kar Jaenge Hum in Hindi by Badiuzzama Khawar. Download free Bhagte Suraj Ko Pichhe ChhoD Kar Jaenge Hum Poem for Youth in PDF. Bhagte Suraj Ko Pichhe ChhoD Kar Jaenge Hum is a Poem on Inspiration for young students. Share Bhagte Suraj Ko Pichhe ChhoD Kar Jaenge Hum with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.