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बदीउज़्ज़माँ ख़ावर Ghazal In Hindi - Best बदीउज़्ज़माँ ख़ावर Ghazal Shayari & Poems - Darsaal

Ghazals of Badiuzzama Khawar

Ghazals of Badiuzzama Khawar
नामबदीउज़्ज़माँ ख़ावर
अंग्रेज़ी नामBadiuzzama Khawar

रौशनी ही रौशनी है शहर में

मुझ को नहीं मालूम कि वो कौन है क्या है

महसूस हो रहा है जो ग़म मेरी ज़ात का

खड़ा था कौन कहाँ कुछ पता चला ही नहीं

कब बयाबाँ राह में आया ये समझा ही नहीं

जिसे भी देखिए प्यासा दिखाई देता है

जले हैं दिल न चराग़ों ने रौशनी की है

है बहुत मुश्किल निकलना शहर के बाज़ार में

भागते सूरज को पीछे छोड़ कर जाएँगे हम

आग ही काश लग गई होती

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