नहीं नहीं ये मिरा अक्स हो नहीं सकता
नहीं नहीं ये मिरा अक्स हो नहीं सकता
किसी के सामने में यूँ तो रो नहीं सकता
थकन से चूर है सारा वजूद अब मेरा
मैं बोझ इतने ग़मों का तो ढो नहीं सकता
तुझे ग़ज़ल तो सुनाता हूँ आज 'बाबर' की
मगर मैं अश्कों से दामन भिगो नहीं सकता
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