अज़रा नक़वी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अज़रा नक़वी
नाम | अज़रा नक़वी |
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अंग्रेज़ी नाम | Azra Naqvi |
फैलते हुए शहरो अपनी वहशतें रोको
हक़ीक़तें तो मिरे रोज़ ओ शब की साथी हैं
अब की बार जो घर जाना तो सारे एल्बम ले आना
आने वाले कल की ख़ातिर हर हर पल क़ुर्बान किया
उन्हें मुझ से शिकायत है
सुब्ह के दो मंज़र
ख़्वाब-जंगल
हार-सिंगार
मो'तबर से रिश्तों का साएबान रहने दो
किसी ख़याल की हिद्दत से जलना चाहती हूँ
कैसे कैसे स्वाँग रचाए हम ने दुनिया-दारी में