मुझे तक़्सीम कर दो
अपनी ज़बान
मिरे माथे से मिरी नाक की सीध पर
नीचे की तरफ़
आहिस्ता आहिस्ता ले कर चलो
हाँ ऐसे यूँ
बहुत आहिस्ता बिल्कुल च्यूँटी की तरह
रेंगती हुई
तुम्हारी ज़बान मिरे जिस्म के बीचों-बीच
जैसे तुम मुझे आधा कर रहे हो
पेट के उभार से होते हुए
नाफ़ के उभार से होते हुए
नाफ़ के रास्ते से
पेड़ू के उभार पर ठहर जाओ
अब तो मेरी साँस चढ़ने लगी है
यहाँ से
ढलवान शुरूअ' हो जाती है
पिछ्ला तो सारा रास्ता सीधा ही था
तुम्हारी ज़बान
अब तक अपनी एक एक सरक में
कितने जाम पिला चुकी है
जानते हो
इस लम्स का नशा शराब ही जैसा तो है
एक घूँट दो
ज़बान यहीं रहने दो
एक घूँट ले लूँ
ये जब मिरे हल्क़ से नीचे उतरेगी
तुम नहीं जान सकते
तुम्हें बता दूँ तो भी तो क्या मेरे अंदर
सरसराते हुए
उन साँपों को देख सकोगे
जो तुम्हारी ज़बान के सरकने के साथ साथ
एक एक जुम्बिश पर मेरे अंदर
फुंकारते हैं
मुझ पर एक साथ वार करते हैं
हाँ रुको नहीं
इस ढलान से नीचे भी तो जाना है
नीचे और नीचे जहाँ
तुम्हारी ज़बान थोड़ी देर
सुसताएगी
और फिर मुझे दो हिस्सों में
तक़्सीम कर देगी
(999) Peoples Rate This