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जिला-वतन होने से पहले - अज़रा अब्बास कविता - Darsaal

जिला-वतन होने से पहले

इस ख़बर के आने के ब'अद

मैं अपने घर की खिड़कियाँ

बंद करती हूँ

बिजली के तार स्विच-ऑफ़ कर देती हूँ

फ्रीज़ में रखा खाना

पड़ोस में दे देती हूँ

बचा हुआ दूध गली की बिल्ली के आगे

डाल देती हूँ

और एक गिलास ठंडा पानी पीती हूँ

तमाम दरवाज़े लॉक कर के

सड़क पर निकल जाती हूँ

दोपहर से पहले

या रात के किसी पहर

सरकारी गाड़ी में

सरकारी मुर्दा-ख़ाने में

मुझे बाक़ी जिला-वतनों के साथ

फेंक दिया जाएगा

और एक ख़बर छपेगी

मुल्ज़िमा फुलाँ-बिंत-ए-फुलाँ के घर

पुराने संदूक़ में

पुराने कपड़ों की तहों में

बहुत सी नज़्में

क़ाबिल-ए-ए'तिराज़ हालत में पाई गईं

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