हम दोनों
हम दिनों इकट्ठे रहते हैं
इकट्ठे सोते हैं
हमारे दुख सुख एक हैं
हमारी आँखें एक दूसरे के ख़्वाब
देख लेती हैं
हम कहीं भी हों
एक दूसरे के नामों से जाने जाते हैं
हमारे घर आने वाले
अपनी दस्तक में दोनों का नाम
शामिल कर लेते हैं
दिन के पहले हिस्से में
हमारी आँखें
एक दूसरे को ख़ुश-आमदीद कहती हैं
अब लफ़्ज़ हमारे दरमियान
चुप रहते हैं
हमारी साँसों का रिदम
जिस्म की हरकत से
एक दूसरे के होने का इत्मिनान दिलाता है
हम अक्सर
अब एक दूसरे की नींद सो लेते हैं
लेकिन
इस के बावजूद अक्सर
गहरी रातों में
हमारे दिल
अपने अपने सीनों में
अलग अलग धड़कते हुए
सुनाई देते हैं
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