अधूरा टुकड़ा

क्यूँ मुझे तेरी चाह है

उस को क्यूँ पूछिए

जिस की बूझन कुछ नहीं

उस को क्या बूझिए

तुझ में लाखों ख़ूबियाँ

क्यूँ कर कोई गिनाए

मरते हैं किस बात पर

क्यूँ कर कोई बताए

सूरत तेरी मोहनी

मन में खब खब जाए

जोबन तेरा जोश पर

दिल में आग लगाए

चाल छबेली मस्त सी

एक क़यामत ढाए

बात सुरीले गीत सी

दिल को नाच नचाए

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